क्या मैं मैं हूँ?

January 12, 2025

क्या आप आप हैं?
क्या तुम तुम हो?
क्या मैं मैं हूँ?
या फिर आप, मैं, और तुम
कोई और है।

शायद आप हो मुझमें कहीं,
या मैं समाया हूँ तुममें।
शायद तुम ही मैं हो,
या मैं ही तुम!
पर ना आप, आप रह पाते हैं,
ना तुम, तुम ही होते हो,
ना मैं, मैं ही बचता हूँ।

तो फिर कौन हैं हम सब?
एक ढोंग, एक तिलिस्म,
या एक झूठ, एक फ़रेब,
जहाँ हर चेहरा अपना
पर हर आत्मा पराई लगती है।

आप, आप को नहीं जानते,
तुम, तुम को नहीं,
और मैं, खुद को नहीं।
तो फिर जानने को बचा ही क्या है?

तो क्यों ना यह नकाब हटे,
मैं, मैं बन जाऊँ,
आप, आप हो जाएँ,
और तुम, तुम के पास लौट आओ।

क्या सच में कुछ बदलेगा,
शायद नहीं,
क्योंकि यह दुनिया एक अभिनय है,
और हम सब बस इक पात्र—
अपने ही अक्सों से अनजान।

कोशिश करिये,
खुद को खुद में बसाने की,
शायद उस पल…
हम खुद से मिल पाएं।

क्योंकि आख़िर मैं,
हम सब हैं कौन क्योंकि हम, हम तो नहीं हैं।

~apurv

image credits: "The Scream" by Edvard Munch